दम की बात
मुझे शर्म है कि
यह दशा है अपने देश की-
दबी सांसो से दबी आवाज़
में गरज़ने का दम नहीं
दबे सच को आकाश
चीरने का दम नहीं
नहीं बारिश की जोश में
दीवालों को पिघलाने का दम
कायरो की बस्ती में
नूर को बसने का भी दम नहीं
आज कल रातो में तारो
को चमकने का भी दम नहीं
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